इश्क का घट आज,मैं नजरों से उड़ेलता हूँ।
तेरे लब पर मैं,सुनो, नूर-ए आब बेलता हूँ।
तुमने बेझिझक हाल-ए-दिल कह दिया लेकिन,
मेरे दिल का हाल सुनने में यह हया कैसी,
जा रही हो रूठ कर, मगर जाओगी कहाँ,
हैं मेरी अर्दली हवाएँ और रास्ते मेरे हितैषी।
लट उड़ाके शब सजाओ होश के वास्ते अब,
बेहोश इस रात में पलकॊं पे तेरे खेलता हूँ।
मैंने कब आँसू बिखेरे तेरे सुर्ख गालों पर और
ख्वाब कब रूख्सत किए तेरी सोख नींदॊं से,
डूबकर खुद में हीं देखो, सच बयां हो जाएगा,
छोड़कर सारी खुदाई, है तुझे चुना चुनिंदों से।
रात छोटी-सी लगे तो आँख पल को मूँद लो,
खोलना जब मैं कहूँ, तब तक दिन ढकेलता हूँ।
मेरी मूक आरजू को बोल तूने हीं दिये हैं,
और मेरी जुस्तजू को मूर्त्त तूने है किया,
मेरी जिंदगी के मंजिलों की तुम हीं हो रहनुमा,
सजदे कर रहा है दिल, कह रहा है शुक्रिया।
नींद को तकिये तले जिस्म के संग डाल दो,
रूह सिमटे रूह में, सो रूह अपनी ठेलता हूँ।
इश्क का घट आज,मैं नज़रों से उड़ेलता हूँ।
तेरे लब पर मैं, सुनो, नूर-ए-आब बेलता हूँ।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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Friday, June 29, 2007
तुम
Posted by विश्व दीपक at 2:02 AM
Labels: तन्हा । Tanha
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10 comments:
bahut achhe words use kiye hain.. really nice.
my favourite part
"मेरी मूक आरजू को बोल तूने हीं दिये हैं,
और मेरी जुस्तजू को मूर्त्त तूने है किया,
मेरी जिंदगी के मंजिलों की तुम हीं हो रहनुमा,
सजदे कर रहा है दिल, कह रहा है शुक्रिया।"
बहुत ही सुंदर भाव हैं तन्हा जी ...
मैंने कब आँसू बिखेरे तेरे सुर्ख गालों पर और
ख्वाब कब रूख्सत किए तेरी सोख नींदॊं से,
डूबकर खुद में हीं देखो, सच बयां हो जाएगा,
छोड़कर सारी खुदाई, है तुझे चुना चुनिंदों से।
बेहद सुंदर बात .....
प्रेमिका के लिए प्रेमी के प्रेम की गहराई दिखाते भावों में ...
प्रेमिका को मनाने के लिए प्रेमी कुछ भी करने को आतुर है ...
प्रेमिका की बेरूख़ी से आहत वोह उसके लिए कुछ भी करने को आतुर है ...
बहू ही सुंदर और मीठी बातें कही है तन्हा जी ने ..
प्रेमिका ही सब कुछ ...
प्रेम की जीवन ... वाले भाव वाली पंक्तियाँ बहुत सुंदर है ...
आपको बढ़ाई !!!
iss kavita main kahin apne bhav doondta hun,
to kahin lagta hai...mujhpar hi to nahi...
mast kavita hai....
बढ़िया रचना पर "नूर-ए आब" के साथ "बेलता हूँ" का प्रयोग मुझे समझ में नही आया। दर-असल मेरी उर्दु कमजोर है, नूर= चमक और आब=पानी होता है शायद, अगर मै सही हूं तो फ़िर इनके साथ बेलता हूं का प्रयोग ?
क्या बेलता हूं का अर्थ यहां पर किसी और संदर्भ में किया गया है?
अगर ऐसा हो तो कृपया नीचे कठिन शब्दों के अर्थ समझा दिया करें इससे रचना का सही आनंद लिया जा सकेगा!!
कृपया अन्यथा न लें!
आभार
मैं पढ़ते हुए तैरने लगा था..जाने कहां!
जब होश आया तो फिर से आपसे जलन होने लगी क्योंकि एक दिन में दो अनुपम कृतियां पढ़ी आपकी..आप बहुत कमाल के कवि हैं, सोच से कहीं ज्यादा....
तनहा कविराज आप तनहा कहा है,टाईटल चेंज कर ही दिजिये...हर लम्हा प्रेम सफर में कटता है प्रेमाश्रम मे आप रहते है...और् प्रेम रस से भीगी रचना लिखते है...हमे भी डुबकियां लगवाते है...वैसे बहुत अच्छे भाव है मजा आ गया पढकर...
मेरी मूक आरजू को बोल तूने हीं दिये हैं,
और मेरी जुस्तजू को मूर्त्त तूने है किया,
मेरी जिंदगी के मंजिलों की तुम हीं हो रहनुमा,
सजदे कर रहा है दिल, कह रहा है शुक्रिया।
जहेनसीब कौन है वो खुशनसीब जिसकी जुस्तजू में शायर इस कदर डूब गया है....:)
शानू
"हैं मेरी अर्दली हवाएँ और रास्ते मेरे हितैषी।"
"रात छोटी-सी लगे तो आँख पल को मूँद लो,
खोलना जब मैं कहूँ, तब तक दिन ढकेलता हूँ।"
बहुत सुन्दर तन्हा जी, आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है
आभार
सस्नेह
गौरव शुक्ल
bahut sunder bhaav deepak
mujhe tumhari ye rachna bahut jayada achhi lagi
पढ़ कर मेरा मन मचलने लगा,
शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया आपका.
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