यूँ ही रात बहती है कुछ धीमी -धीमी
यह कौन प्यार का गीत मुझे सुनता है
उस माथे को चूमा हमने यूँ होले से
जिसका चेहरा मुझे चाँद सा नज़र आता है
खिल गया है पलकों पर फिर ख्वाब कोई
यह कौन है जो सोई नींद से मुझे जगाता है
कानों में गूँजता है लफ्ज़ एक प्यार का
यह कौन मुझे सितारों की चुनरी उड़ाता है
यूँ लहका -महका सा आज दिल मेरा
जैसे कोई गुल भंवरे को देख के शरमाता है
चुरा ले आज मुझे दुनिया की नज़रो से सनम
जैसे ईद का चाँद नज़रो में समा के मुस्कराता है
यह कौन प्यार का गीत मुझे सुनता है
उस माथे को चूमा हमने यूँ होले से
जिसका चेहरा मुझे चाँद सा नज़र आता है
खिल गया है पलकों पर फिर ख्वाब कोई
यह कौन है जो सोई नींद से मुझे जगाता है
कानों में गूँजता है लफ्ज़ एक प्यार का
यह कौन मुझे सितारों की चुनरी उड़ाता है
यूँ लहका -महका सा आज दिल मेरा
जैसे कोई गुल भंवरे को देख के शरमाता है
चुरा ले आज मुझे दुनिया की नज़रो से सनम
जैसे ईद का चाँद नज़रो में समा के मुस्कराता है
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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।**********************************************
3 comments:
बहुत ही अच्छी ग़ज़ल। दिल पर रूमानियत छा गई
शानदार!!
नज़र ना लगे किसी की इन एहसासों को!!
VERY NICE..!
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