जब एक प्रेम का धागा जुड़ता है,
दिल का कमल तब ही खिलता है
देखता है खुदा भी आसमान से जमीन पर
जब एक दिल दूसरे से बेपनाहा मोहब्बत करता है
सुलगने लगता है तब धरती का सीना भी
जब कोई आसमान बन के बाहो में पिघलता है
लिखी जाती है तब एक दस्तान-ए -मोहब्बत
तब कही जा कर अमर-प्रेम लोगो के दिलों में उतरता है!!
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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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Thursday, June 14, 2007
अमर-प्रेम
Posted by रंजू भाटिया at 11:31 PM
Labels: रंजना । Ranjana
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4 comments:
अच्छा है! कवि कुलवंत
kavikulwant.blogpost.com
वाह जी वाह
बहुत खूब लिखा है जी आपने प्रेम के बारे में
जब एक प्रेम का धागा जुड़ता है,
दिल का कमल तब ही खिलता है
मगर मुश्किल तो ये है कि ये दिल मुश्किल से मिलता है
वाह!
रंजनाजी, सही कहा है आपने -
जब एक प्रेम का धागा जुड़ता है,
दिल का कमल तब ही खिलता है
बहुत खूब!
सुलगने लगता है तब धरती का सीना भी
जब कोई आसमान बन के बाहो में पिघलता है
सभी कविताएँ पढ़ीं....
आपने बहुत सुन्दर रूप मे सभी प्रेम करने वालों के भावों को शब्द रूपी फूलों की माला मे पिरो दिया..
बहुत खूब !
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