Tuesday, June 26, 2007

तेरा अहसास



तेरा अहसास कुछ इस कदर मुझ में समाया है...
हर पल हर समय बस तू ही तू नज़र आया है...

सुबह की पहली किरण और अंगड़ाई लेती
अपनी बाहो के घेरे में...
तुझे ख़ुद को चुमता पाया है...

कैसे सांवरू अपने बाल,
कैसे करूँ आज ख़ुद को तैयार
मेरा कौन सा रूप तुम्हे लुभाया है...

अपनी कज़रे की धार से, चूड़ियों की छनक तक...
बिंदी की चमक से, पायल की झनक तक...
बस तेरा ही अक्स मुझे नज़र आया है...

तुझसे प्यार करते हुए...
अपनी आँखे बंद रखूं या खुली...
देखने के लिए शीशे में...
ख़ुद को तेरे साथ पाया है...

मेरे हर ख़याल में शामिल है तू...
हर बात, हर पल मैने अपने वजूद में...
बस तेरी चाहत को ही पाया है...

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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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4 comments:

Sanjeet Tripathi said...

"तेरा अहसास कुछ इस कदर मुझ में समाया है.....
हर पल हर समय बस तू ही तू नज़र आया है......."

समर्पण इसे ही कहते हैं!!

"मेरे हर ख़याल में शामिल है तू......
हर बात, हर पल मैने अपने वजूद में...........
बस तेरी चाहत को ही पाया है.................. "

चाहत यही है किसी के लिए!!
बहुत खूब!!

Mohinder56 said...

सुन्दर रचना है रंजना जी,

सारा खेल ही एहसास का है... किसी ने कहा है

"अहसास मर न जाये तो इन्सान के लिये
काफ़ी है राह की एक ठोकर लगी हुयी"

विश्व दीपक said...

मेरे हर ख़याल में शामिल है तू...
हर बात, हर पल मैने अपने वजूद में...
बस तेरी चाहत को ही पाया है...

बहुत खूब जी।

सुनीता शानू said...

रन्जू दीदी क्या बात है दिन-पर-दिन आप हृदय में प्रेम बढाती ही जा रही है...बहुत खूबसूरत रचना है...इसे पढ़कर एक गाना याद आया...

हमे जबसे मोहोबत हो गई है...
ये दुनिया खूबसूरत हो गई है...

शानू