कुछ खो सा गया है
एक जाने से तुम्हारे
अनमना सा हो गया हूं
फ़िर न आने से तुम्हारे
रिक्त प्राय हो गया है
आसक्ति का स्त्रोत जैसे
अश्रू नैनों में भरे है
पीडा से ओतप्रोत जैसे
भूल मुझसे क्या हुई है
बस यही मुझको सालता है
ह्रदय है कि पल पल जाने
भीतर भ्रम कितने पालता है
प्यार क्या है, रूह क्या है
कौन जान पाया है कभी
बन्धनों का दिल के शायद
"प्रेम" नाम रखा है यहां
- मोहिन्दर
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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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Friday, June 15, 2007
दिल के बन्धन
Posted by Mohinder56 at 12:18 AM
Labels: मोहिन्दर । Mohinder
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2 comments:
बहुत ही सुंदर रचना है ..यह बहुत अच्छी लगी
प्यार क्या है, रूह क्या है
कौन जान पाया है कभी
बन्धनों का दिल के शायद
"प्रेम" नाम रखा है यहां
बहुत ही खूबसूरत!!!
बधाई मोहिन्दरजी.
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