Thursday, July 12, 2007

दिवाना कर दिया

उलझन में पड़ गया हूँ मैं दिल का क्या करूँ
छूकर किसीने दिल को दिवाना कर दिया

पुनम की चाँदनी से वो मुस्कुरा दिये
आबाद जिंदगी का विराना कर दिया

फुलों की सादगी थी मासूम हर अदा
बोले तो होश-ए-जाँ से बेगाना कर दिया

दुनियाँ बनाने वाले फरियाद है मेरी
क्यों झील सी आँखों का मैखाना कर दिया

निंदे मेरी उडादी लेकर गये करार
दर्दे-जिग़र का उसपे नज़राना कर दिया


-तुषार जोशी, नागपुर


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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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6 comments:

Mohinder56 said...

वाह भईये आप तो कमाल के शायर निकले... किस का जिक्र हो रहा है इस गजल में हमें भी तो पता चले.. बहुत सुन्दर गजल.

Sanjeet Tripathi said...

बहुत खूब तुषार जी!!

रंजू भाटिया said...

wah tushar ji ...bahut hi sundar ...

sanjay patel said...

तुषार भाई;
आपको पहले भी हिन्दी युग्म पर पढा़ है..आपकी कविता में एक नया ’विजन’ दिखता है.बुरा न मानें तो एक बिन माँगा मशवरा दूं ? ग़ज़ल की एक विशिष्ट तकनीक है...जिसमें रदीफ़-काफ़िये जैसी चीज़ें बहुत अहम है...निवेदन इतना भर है कि वहाँ नागपुर में संभव हो तो उर्दू के किसी जानकार को उस्ताद बनाईये..उनसे अपनी ग़ज़लों की इसलाह (यानी उसकी जाँच-पड़ताल और कसावट)करवा लिया कीजिये और फ़िर देखिये आपका ये फ़न कैसे परवान चढ़ता है.हम हिन्दी वाले भावुकता से ग़ज़ल की ओर आ जाते हैं ...वह सिर्फ़ तुकबंदी नहीं ;उसका अपना शास्त्र है.जो ग़ज़ल लिख रहे हैं उनके पास तकनीक है ख़याल नहीं...आपके पास ख़याल है,विजन है और है एक कवि ह्र्दय...सो तकनीक भी क्यों न अपना ली जाए..आपकी ताक़त और बढ़ जाएगी तुषार भाई...आशा है मेरी बात में छुपे ग़ज़ल प्रेम की गंध आप तक पहुँचेगी.नेक दुआओं के साथ.
sanjaypatel1961@gmail.com

विश्व दीपक said...

bahut khoob tushar ji. Sharayi ke kshetra mein bhi aap apni bakhubi pehchaan rakhte hain. har ek sher dil ko chhu kar gaya hai. bahut pasand aayi apki rachna.

गिरिराज जोशी said...

बहुत खूब तुषार जी!!