भरी महफ़िल जो तुमने, मोहब्बत-ए-इज़हार कर दिया,
लो हमने भी आज अपने दिल को तुम्हारे नाम कर दिया,
चाहत मे मेरी हर पल, तुम धड़कन बन समाई हो,
तुम्हारे इकरार ने मोहब्बत को अपनी जवान कर दिया.
हर सुबह हर शाम मेरी बस तुमसे है सनम,
रातों को भी हमने अपनी तुम्हारे नाम कर दिया.
आज बाहों मे लेने की तुमको, फिर तमन्ना जागी है,
तस्वीर तुम्हारी ने लिपट सीने से, यह ज़ाहिर कर दिया.
कहनी और कई बातें तुमसे, पर इस महफ़िल मे नही,
वरना कहोगी की सर-ए-आम हमने तुम्हे बदनाम कर दिया.... !!!
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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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Monday, September 17, 2007
मोहब्बत-ए-इज़हार
Posted by Vicky at 11:29 PM 8 comments
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