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Thursday, June 21, 2007

प्रेम - मेरी परिभाषायें



1. प्रेम एक ऐसा उडन खटोला है जिस पर बैठ कर आन्नद तो सब लेना चाहते हैं परन्तु जिसे पल भर के लिये उठा कर चलना सबको दूभर लगता है।

2. प्रेम लेने (मांगने ) का नाम नहीं देने का नाम है... साथ ही यह शर्त है कि जो दिया उसका जिक्र कभी न हो।

3. प्रेम अनुकूल परिस्थियों में नही परन्तु प्रतिकूल परिस्थियों में पहचाना जा सकता है।

4. प्रेम के पौधे को परवान चढने की लिये... लग्न, विश्वास, क्षमा व निस्वार्थ रूपी हवा पानी और खाद की आवश्यकता होती है।

5.प्यार हमारे भविष्य निहित कामनाओं के स्वार्थ हेतु उगायी हुई वह फ़सल है... जिसे हम समय पर काट पायेंगे या नही.... स्वयं नही जानते।


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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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Wednesday, June 20, 2007

आई लव यू

दिल की धडकन तुम हो
सांसों की सरगम तुम हो
मेरी हो तुम दिन और रैना
बोलो तुमको क्या है कहना

हे हे आई लव यू

प्रीत की डोरी बांधी तुम संग
रहना है अब हम को अंग संग
जब हंसेंगे मिलकर हम तुम
खिल जायेगा सारा उपवन

हे हे आई लव यू

तुम प्यार में मेरी शशी
और इश्क में मेरी लैला
बारिश में मेरी छतरी
और धूप में हो अम्ब्रेला

हे हे आई लव यू

Friday, June 15, 2007

दिल के बन्धन


कुछ खो सा गया है
एक जाने से तुम्हारे
अनमना सा हो गया हूं
फ़िर न आने से तुम्हारे

रिक्त प्राय हो गया है
आसक्ति का स्त्रोत जैसे
अश्रू नैनों में भरे है
पीडा से ओतप्रोत जैसे

भूल मुझसे क्या हुई है
बस यही मुझको सालता है
ह्रदय है कि पल पल जाने
भीतर भ्रम कितने पालता है

प्यार क्या है, रूह क्या है
कौन जान पाया है कभी
बन्धनों का दिल के शायद
"प्रेम" नाम रखा है यहां

- मोहिन्दर

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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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