वर्षों से मन में आस थी
एक दोस्त की तलाश थी,
थक गयी थी ज़िन्दगी
यूं ढूंढते ही ढूंढते,
सो ज़िन्दगी की राह में
खुद ज़िन्दगी उदास थी ।
सैकड़ों सरिता मिलीं
कुछ रेत कि कुछ नीर की,
पायी ना कोई धार निर्मल
सो ज़िन्दगी अधीर थी,
क्या कहूँ कैसे कहूँ
ये किस तरह की प्यास थी,
सो ज़िन्दगी की राह में
खुद ज़िन्दगी उदास थी ।
चलता रह फिर ये सफ़र
पड़ाव भी जाते रहे,
झूठी तसल्ली देकर खुद को
खुद ही समझाते रहे,
जानती थी ज़िन्दगी
ये मात्र एक परिहास थी,
सो ज़िन्दगी की राह में
खुद ज़िन्दगी उदास थी ।
पर एक दिन यूं ही अचानक !
मेहरबाँ वो रब हुआ,
मुझको नही मालुम अरे !
कैसे हुआ ये कब हुआ !
उम्मीद जिसकी थी नही
लो वो तो मेरे पास थी,
अब ज़िन्दगी खुद ज़िन्दगी के
जीने का एहसास थी ।
सुमन सा कोमल सु-मन मैं
देखता ही रह गया,
स्नेह की आँधी चली और
दूर तक फिर बह गया,
सोचा अकेला हो गया
फिर से ज़माने में मगर,
आखें खुलीं तो पाया मैंने
वह तो मेरे पास थी
अब ज़िन्दगी खुद ज़िन्दगी के
जीने का एहसास थी ।
अब ज़िन्दगी खुद ज़िन्दगी के
जीने का एहसास थी ।
LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
Saturday, October 27, 2007
तलाश
Posted by भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav at 4:14 AM
Labels: B Raghav । बी. राघव
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6 comments:
बहुत सुंदर राघव जी ..आपक यहाँ स्वागत है ...आते ही धमाके दार तलाश
बहुत सुंदर है यह तलाश ही हमे ज़िंदगी भर नचाती है...बहुत सुंदर भाव है इसके
बेहद पसन्द आई यह मुझे
पर एक दिन यूं ही अचानक !
मेहरबाँ वो रब हुआ,
मुझको नही मालुम अरे !
कैसे हुआ ये कब हुआ !
उम्मीद जिसकी थी नही
लो वो तो मेरे पास थी,
अब ज़िन्दगी खुद ज़िन्दगी के
जीने का एहसास थी ।
यही लफ्ज़ हमे ज़िंदगी आगे जीने लायक बना देते हैं
शुभकामना के साथ
रंजना
धन्यवाद राघव जी !
आपकी कविता को पढ़कर जिन्दगी के एक छुपे हुए अनूठे रहस्य की वास्तविकता का एहसास हुआ। और क्योंकि यह मानवीय जीवन की एक कड़वी हकीकत है और सबके साथ किसी न किसी रुप में जरूर घटती है। और हर किसी को ये स्वीकार करना ही होता है एक दूसरे के खोज में कि-
चलता रहा फिर ये सफर
पड़ाव भी जाते रहे
झूठी तसल्ली देकर खुद को
खुद ही समझते रहे..............
बहुत सुंदर कविता, आपकी तलाश का सुखद अंत हुआ जानकर खुशी हुई ।
सुमन सा कोमल सु-मन मैं
देखता ही रह गया,
स्नेह की आँधी चली और
दूर तक फिर बह गया,
बहुत प्यारी रचना
bahut sundar ..... bahut dino ke baad kuch achcha anubhav hua.....
महानुभावों तमाम भान्तियों और इसलाम के असली चेहरे को आप सबके समक्ष लाने हेतु एक ब्लॉग का शुभारंभ किया है। कृपया पधारने का कष्ट करें और टिप्पणी दें।
prakharhindu.blogspot.com
ab jindagi khud jindagi ke jeene ka ahsaas yhee...........wah sb wah..bahut khoob.
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