हमें क्या पड़ी थी , नींद की जो आरजू करते,
हमारे ख्वाब ,खुली नज़रों से थें गुफ्तगू करते ।
मसीहा इश्क का बेमौत शायद मर चुका होता,
जो गज़लों से मोहब्बत करना ना शुरू करते।
कोई कह दे उन्हें, वो शब भर बेसब्र ना रहें,
जग लेते हैं चकवा-चकई भी जुस्तजू करते।
निगाहे-नूर जिरह कर ले भी तो जान आ जाए,
जाने क्या मिले उनको , हमें बेआबरू करते ।
गर तबियत से मिले दिल तो रश्क भी करूँ,
आह! ना बने बीमार दिल को य़ूँ उदू करते।
'तन्हा' , नामुरादे-इश्क ऎसी बला है जान ले,
बस पल लगे नब्जों के पानी को लहू करते ।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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Friday, August 17, 2007
एक गज़ल
Posted by विश्व दीपक at 9:04 AM 6 comments
Labels: तन्हा । Tanha
Thursday, August 2, 2007
मैं और तुम
यह जो नया एहसास सा दिल पर छाया है
तेरे प्यार की ही तो माया है
मैंने ना जाने ख़ुद को कब से..
इन प्रश्नो में उलझा पाया है
तुमने कहाँ जवाबो को छिपाया है
तुमने क्यूं मेरे सवालो को चुराया है
ख़ुद को क्यूं देखा है वहाँ
जहाँ तुम को नही पाया है
और तुम क्यू हो वहाँ ……..?
जहाँ मेरा साया भी नज़र नही आया है
तब मेरे दिल ने हँस कर ……..
बस यही संगीत सुनाया है
प्यार की मीठी बातों का ……
मुझको यह राज़ बताया है
एक प्यार का तार जुड़ा है दोनो में,
जहाँ मैं हूँ वहाँ तुम हो…..
जहाँ तुम हो वहाँ मैं हूँ
यही विश्वास दिलाने को
दोनो की आँखो में एक खुमार सा छाया है
दिल की निकटता ही बस एक सच है
बाक़ी हर दूरी एक साया है
यह जो नया एहसास सा दिल पर छाया है
यह तेरे ही प्यार की तो माया है !!
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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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Posted by रंजू भाटिया at 8:33 PM 8 comments
Labels: रंजना । Ranjana