Friday, September 14, 2007

हम तुझसे और सनम क्या चाहते हैं....



हम तुझसे और सनम क्या चाहते हैं
बस तेरे इश्क़ की इन्तहा माँगते हैं

जब भी तू गुम हो तन्हा किन्ही ख्यालों में
उन ख़यालो में अपनी ही बात चाहते हैं

जब भी फैला हुआ हो रात का आँचल
डूबते सितारो तक तेरे संग जागना चाहते हैं

दिल में मचल रहे हैं तेरे लिए कई अरमान
तेरे आगोश में उनको सच होते देखना चाहते हैं

कब तक यूँ ही मुझे तडपाता रहेगा तू यूं ही
आज हम तेरे वजूद में गुम होना चाहते हैं !!




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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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6 comments:

Divine India said...

शीर्षक से कविता का अंतरा बिल्कुल अलग है… एक गहरी सोच की कमी लगी मुझे इसमें बाकी लयबद्धता है…

Sajeev said...

अच्छी ग़ज़ल है, दूसरे मिसरे मे गम लिखा गया है जो की मेरे ख़्याल से गम होना चाहिए, प्रेम आश्रम मे आकर अच्छा लगा

गिरिराज जोशी said...

कब तक यूँ ही मुझे तडपाता रहेगा तू यूं ही
आज हम तेरे वजूद में गुम होना चाहते हैं !!

बहुत ही खूबसूरत प्रेम भाव, बधाई!!!

Sanjeet Tripathi said...

बढ़िया भावाभिव्यक्ति रंजना जी!

Mukesh Garg said...

bahut kohb ranjuji

विश्व दीपक said...

भाव अच्छे हैं....... लेकिन शिल्प पर मेहनत करें।