Friday, July 13, 2007

प्यार की इबारत



कभी दिल के सफ़र में, मैं तुझसे दूर ना थी
पर तुझ तक सफ़र तय करने में वक़्त लगा

समझा नही मैने तेरी किसी बात को झूठा वादा
मैने अपने ख्वाबो का दरवाज़ा तेरे लिए खुला रखा

निशान बने रहे तेरी राहगुजर से मुझ तक आने के लिए
तेरे हर ख़्याल में हर बात में मैने ख़ुद को ज़िंदा रखा

बदल ना जाए कही तेरे नाम की लकीरे मेरे हाथों से
तेरा ही नाम अपनी ज़िंदगी की किताब में बार बार लिखा

कही फिर से ना बदल ले तू अपने प्यार की इबारत कभी भी
अपने प्यार से तेरी दुनिया तेरे जहाँ को मैने रोशन रखा !!

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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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5 comments:

...* Chetu *... said...

very nice poem..!

Sanjeet Tripathi said...

बढ़िया रंजना जी,
खासतौर से यह लाईन तो बहुत बढ़िया बन पड़ी है--
"बदल ना जाए कही तेरे नाम की लकीरे मेरे हाथों से
तेरा ही नाम अपनी ज़िंदगी की किताब में बार बार लिखा"

Udan Tashtari said...

सही है.

ALOK PURANIK said...

किसी ने कहा है-
every person is a poet when in love
ऐसी कविताई चलती रहे, शुभकामनाएं।
पर भईया, हमारे ब्लाग पर आना न छोड़ना। प्रेम का इत्ता सा हिस्सा हमारे ब्लाग के लिए भी बचा छोड़ना।

गिरिराज जोशी said...

कभी दिल के सफ़र में, मैं तुझसे दूर ना थी
पर तुझ तक सफ़र तय करने में वक़्त लगा

वक़्त कुछ ज्यादा नहीं लग गया? :-)

आपका प्रेम कविताओं में उतरता है या आप प्रेम कविताओं में, समझ पाना मुश्किल है :-)

बेहतरीन!