Thursday, June 21, 2007

प्रेम - मेरी परिभाषायें



1. प्रेम एक ऐसा उडन खटोला है जिस पर बैठ कर आन्नद तो सब लेना चाहते हैं परन्तु जिसे पल भर के लिये उठा कर चलना सबको दूभर लगता है।

2. प्रेम लेने (मांगने ) का नाम नहीं देने का नाम है... साथ ही यह शर्त है कि जो दिया उसका जिक्र कभी न हो।

3. प्रेम अनुकूल परिस्थियों में नही परन्तु प्रतिकूल परिस्थियों में पहचाना जा सकता है।

4. प्रेम के पौधे को परवान चढने की लिये... लग्न, विश्वास, क्षमा व निस्वार्थ रूपी हवा पानी और खाद की आवश्यकता होती है।

5.प्यार हमारे भविष्य निहित कामनाओं के स्वार्थ हेतु उगायी हुई वह फ़सल है... जिसे हम समय पर काट पायेंगे या नही.... स्वयं नही जानते।


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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।
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2 comments:

Arun Arora said...

स्कूल के सभी प्रेमार्थियो( प्रेम करने वाले के अर्थ मे लेना की प्रेम की अर्थी उठाने वाले)को हमारी ढेर सारी प्रेमकामनाये(शुभकामनाओ के अर्थ मे ले)
इत्ती सारी लवयाई हुई रचनाये एक जगह,
:)

Sanjeet Tripathi said...

बहूत खूब मोहिंदर जी