Monday, June 11, 2007

अब तुमसे क्या कहें

रुत आई है खुमार की अब तुमसे क्या कहें
ख़ुशी कैसी पहले प्यार की अब तुमसे क्या कहें

मुस्कान है बच्चों सी और दिल भला भला
सीरत ये मेरे यार की अब तुमसे क्या कहें

है माँगा दुआ मैं उनको, और पाया भी उन्हे
हद बेलॉस ऐतबार की अब तुमसे क्या कहे

देखूं जो उसके चेहरे को दिखता खुदा मुझे
दीवानी दीद-ए-यार की अब तुमसे क्या कहें

नज़रों से पढ़े उल्फ़त होठों से लिखे प्यार
ये है आदत दिलदार की अब तुमसे क्या कहें

सपने है तिलसमी , के श्रद्धा नशे मैं हैं
बात पर्वाज़े-ए-अफ़्कार की अब तुमसे क्या कहें


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Rut aayi hai khumaar ki ab tumse kya kahen
Khushi kaisi pahle pyaar ki ab tumse kya kahen

Muskaan hai bholii si aur dil bhalaa bhalaa
seerat ye mere yaar kii ab tumse kyaa kahen

hai maaga unko dua main,aur paya hai unhe
Had bailoss aitbaar ki ab tumse kya kahe

Bailoss --- bina shaq ke

Dekhun jo uske chehre ko dikhta khuda mujhe
Deewani deed-e-yaar ki ab tumse kya kahen

Nazron se kahe ulfat hothon se padhe pyaar
Ye hai Aadat dildaar ki ab tumse kya kahen

Sapne hai tilsmi , k Shrddha nashe main hain
Baat parwaze-e-afkaar ki ab tumse kya kahen

Parwaze-e-afkaar ….. soch ki udhan


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LOVE IS GOD - प्रेम ईश्वर है।

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2 comments:

Mohinder56 said...

रुत आई है खुमार की अब तुमसे क्या कहें
ख़ुशी कैसी पहले प्यार की अब तुमसे क्या कहें

प्यार में कहने की जरूरत क्या होती है.. आंखे ही जुबां का काम करती है

है माँगा दुआ मैं उनको, और पाया भी उन्हे
हद बेलॉस ऐतबार की अब तुमसे क्या कहे

खुशनसीब है आप

सपने है तिलसमी , के श्रद्धा नशे मैं हैं
बात पर्वाज़े-ए-अफ़्कार की अब तुमसे क्या कहें

सब नार्मल है बस प्यार का खुमार है

गिरिराज जोशी said...

मोहिन्दरजी ने पोस्टमार्टम कर दिया है :)

प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति!